बिहार में चल रहे SIR (Special Investigation Report) विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है। जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमल्या बागची की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी। यह सुनवाई ऐसे समय में हो रही है जब राज्य में मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन अगस्त में निर्धारित किया गया है, जिससे मामले की संवेदनशीलता और बढ़ गई है।
मामले से जुड़े याचिकाकर्ताओं का कहना है कि SIR से संबंधित कुछ कदम और प्रक्रियाएं आगामी चुनावों पर सीधा प्रभाव डाल सकती हैं। उनका आरोप है कि इस रिपोर्ट का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए किया जा सकता है, जिससे चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ यह देखेगी कि क्या राज्य सरकार और चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदम संवैधानिक और कानूनी दायरे में आते हैं। कोर्ट यह भी विचार करेगा कि मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले SIR से जुड़ी किसी भी गड़बड़ी को सुधारा जा सकता है या नहीं।
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पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि SIR के कारण कई पात्र मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जाने का खतरा है। उन्होंने अदालत से मांग की है कि मतदाता सूची में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जाए ताकि किसी भी नागरिक के मतदान अधिकार का हनन न हो।
अदालत के इस मामले में हस्तक्षेप से चुनावी प्रक्रिया पर बड़ा असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बिहार के चुनावी माहौल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और यह सुनिश्चित करेगा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे।
अगली सुनवाई में कोर्ट राज्य सरकार, चुनाव आयोग और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनकर आगे का फैसला तय करेगा।
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