राष्ट्रपति भवन में अब भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित वीरों के चित्र प्रदर्शित किए जा रहे हैं। इन चित्रों ने पहले यहां लगे 96 ब्रिटिश एड-डी-कैंप्स (एडीसी) के चित्रों की जगह ले ली है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह पहल औपनिवेशिक मानसिकता से बाहर निकलने और भारत की समृद्ध संस्कृति, विरासत और कालातीत परंपराओं को गर्व के साथ अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
वर्तमान में राष्ट्रपति भवन की दीवारों पर सभी 21 परमवीर चक्र विजेताओं के चित्र लगाए गए हैं। परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण है, जो युद्ध के दौरान अद्वितीय वीरता, असाधारण साहस और सर्वोच्च बलिदान के लिए प्रदान किया जाता है। यह सम्मान देश के उन जाबाज सैनिकों को दिया जाता है, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने से भी पीछे नहीं हटे।
राष्ट्रपति भवन के अनुसार, इस बदलाव का उद्देश्य देश के सच्चे नायकों को सम्मान देना और राष्ट्रीय चेतना को मजबूत करना है। ब्रिटिश शासनकाल की याद दिलाने वाले प्रतीकों के स्थान पर अब भारतीय सशस्त्र बलों के वीर सपूतों को प्रमुखता दी जा रही है, जो स्वतंत्र भारत की पहचान और मूल्यों को दर्शाता है।
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इस पहल को भारत की सैन्य परंपरा और शौर्य गाथाओं के सम्मान के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल आने वाले आगंतुकों को भारतीय इतिहास और बलिदान की कहानियों से परिचित होने का अवसर मिलेगा, बल्कि यह युवा पीढ़ी को भी देशभक्ति और सेवा की प्रेरणा देगा।
राष्ट्रपति भवन ने अपने बयान में कहा कि यह कदम भारत के गौरवशाली अतीत और आत्मनिर्भर भविष्य के बीच सेतु का काम करेगा। परमवीर चक्र विजेताओं के चित्र अब देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्था में भारत के साहस, त्याग और सम्मान की जीवंत प्रतीक बनकर मौजूद रहेंगे।
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