व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने विवादित बयान देते हुए कहा कि “ब्राह्मण भारतीयों का शोषण कर रहे हैं और अपने फायदे के लिए लोगों का इस्तेमाल कर रहे हैं।” उनके इस बयान ने भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर नई बहस छेड़ दी है।
नवारो का यह बयान ऐसे समय में आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 31 अगस्त को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक की थी। दोनों नेताओं ने क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा की।
विश्लेषकों का मानना है कि नवारो की टिप्पणी अमेरिका की आंतरिक राजनीतिक बहस और व्यापारिक मुद्दों से जुड़ी हो सकती है, लेकिन इसे भारत की सामाजिक संरचना पर सीधे हमले के रूप में देखा जा रहा है। भारत में कई राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने इस बयान की कड़ी निंदा की है और कहा है कि यह टिप्पणी भारतीय समाज के प्रति पूर्वाग्रह को दर्शाती है।
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अमेरिकी प्रशासन की ओर से इस बयान पर कोई आधिकारिक स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बयानों से द्विपक्षीय संबंधों पर अनावश्यक तनाव पैदा हो सकता है, खासकर ऐसे समय में जब भारत और अमेरिका रक्षा, तकनीक और व्यापार के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
नवारो की टिप्पणी को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी चर्चा हो रही है और कई विश्लेषक इसे असंवेदनशील और कूटनीतिक शिष्टाचार के विपरीत बता रहे हैं।
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