प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (29 अक्टूबर 2025) को मुंबई में आयोजित मैरिटाइम लीडर्स कॉन्क्लेव और ग्लोबल मैरिटाइम सीईओ फोरम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जब दुनिया के समुद्र अशांत होते हैं, तब भारत एक स्थिर प्रकाशस्तंभ की तरह विश्व को दिशा दिखाने का कार्य करता है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि 2016 में शुरू हुआ यह आयोजन अब एक वैश्विक शिखर सम्मेलन बन गया है, जिसमें 85 से अधिक देशों के प्रतिनिधि शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह भागीदारी भारत की समुद्री क्षमता पर वैश्विक भरोसे को दर्शाती है।
श्री मोदी ने बताया कि सम्मेलन के दौरान लाखों करोड़ रुपये के समझौते हुए हैं और भारत के बंदरगाहों ने 2024–25 में अब तक का सबसे अधिक माल प्रबंधन दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि कांडला पोर्ट ने देश का पहला मेगावॉट-स्तरीय ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट शुरू किया है और जेएनपीटी का दूसरा चरण शुरू होने से यह भारत का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट बन गया है।
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उन्होंने कहा कि भारत ने सौ साल पुराने औपनिवेशिक समुद्री कानूनों को समाप्त कर आधुनिक विधेयक लागू किए हैं, जो सुरक्षा, स्थायित्व और डिजिटलीकरण को बढ़ावा देंगे। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस से व्यापार को सरल बनाया जा रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत अब नीली अर्थव्यवस्था, हरित लॉजिस्टिक्स और शिपबिल्डिंग में अग्रणी बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि सरकार इस क्षेत्र में लगभग ₹70,000 करोड़ का निवेश कर रही है, जिससे लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि “भारत की जीवंत लोकतंत्र और स्थिरता ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। जब वैश्विक समुद्र उथल-पुथल में हों, दुनिया एक स्थिर प्रकाशस्तंभ खोजती है — और भारत वही है।”
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