प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में आयोजित इंडिया मैरिटाइम वीक 2025 के दौरान मैरिटाइम लीडर्स कॉन्क्लेव को संबोधित किया और ग्लोबल मैरिटाइम सीईओ फोरम की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि भारत का समुद्री क्षेत्र अब शक्ति, स्थिरता और सुधारों की गति से वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है।
मोदी ने कहा कि आज भारत का समुद्री क्षेत्र न केवल तेजी और ऊर्जा से बढ़ रहा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय भरोसे और बड़े निवेशों से सशक्त हो रहा है। 85 से अधिक देशों से आए प्रतिनिधियों और प्रमुख वैश्विक शिपिंग कंपनियों के सीईओ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “जब वैश्विक समुद्र उथल-पुथल में होते हैं, दुनिया एक स्थिर प्रकाशस्तंभ की ओर देखती है – भारत अब उस भूमिका के लिए तैयार है।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि सम्मेलन में लाखों करोड़ रुपये के नए समझौते और परियोजनाएं शुरू की गईं, जो भारत की समुद्री क्षमता पर वैश्विक विश्वास को दर्शाती हैं। उन्होंने विझिंजम पोर्ट के संचालन, कांडला पोर्ट पर हरित हाइड्रोजन सुविधा, और जेएनपीटी के भारत मुंबई कंटेनर टर्मिनल के दूसरे चरण की सफलता को ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।
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मोदी ने कहा कि भारत ने सौ साल पुराने औपनिवेशिक नौवहन कानूनों को हटाकर आधुनिक और भविष्य उन्मुख मर्चेंट शिपिंग एक्ट लागू किया है, जो सुरक्षा, सततता और डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा देता है। साथ ही कोस्टल शिपिंग एक्ट और वन नेशन, वन पोर्ट प्रोसेस से व्यापार सुगम हुआ है।
उन्होंने बताया कि बीते दशक में भारत की पोर्ट क्षमता लगभग दोगुनी हुई है, टर्नअराउंड समय 96 से घटकर 48 घंटे रह गया है और भारतीय नाविकों की संख्या 3 लाख से अधिक हो चुकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ₹70,000 करोड़ के निवेश से देश में जहाज निर्माण क्षमता बढ़ा रही है और महाराष्ट्र के वधावन में ₹76,000 करोड़ की लागत से एक नया मेगा पोर्ट विकसित किया जा रहा है।
मोदी ने कहा, “भारत अपने महासागरों को सीमाएं नहीं, बल्कि अवसरों के द्वार मानता है।” उन्होंने भारत को रणनीतिक स्वायत्तता, शांति और समावेशी विकास का प्रतीक बताया और वैश्विक समुद्री सहयोग का आह्वान किया।
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