स्थानीय निकाय चुनावों से पहले बीजेपी द्वारा शिवसेना नेताओं और कार्यकर्ताओं को अपने पक्ष में लेने के विरोध में मंगलवार को अधिकांश शिवसेना मंत्रियों ने कैबिनेट की साप्ताहिक बैठक में हिस्सा नहीं लिया। उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे बैठक में मौजूद रहे।
सूत्रों ने बताया कि शिवसेना यह संदेश देना चाहती थी कि वह बीजेपी के इस कदम को मंजूरी नहीं देती। पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह बैठक का बहिष्कार नहीं बल्कि केवल अनुपस्थिति थी। मंत्रियों की अनुपस्थिति का मकसद अपने विरोध को स्पष्ट करना था, न कि प्रशासनिक कामकाज में बाधा डालना।
विपक्षी विधायक और शिवसेना (UBT) के आदित्य ठाकरे ने इस पर सवाल उठाया कि क्या मंत्री व्यक्तिगत अहंकार को राज्यहित से ऊपर रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि मंत्रियों का यह कदम जनता और राज्य के हितों के खिलाफ है।
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महाराष्ट्र की राजनीति में इस कदम ने सियासी तनाव को बढ़ा दिया है। शिवसेना नेताओं की अनुपस्थिति बीजेपी के खिलाफ एक कड़ा संदेश मानी जा रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई केवल अपनी स्थिति स्पष्ट करने और संदेश देने के लिए की गई थी।
मंत्रालय में आयोजित बैठक में शिंदे की मौजूदगी ने यह दिखाया कि पार्टी नेतृत्व बैठक में उपस्थित रहकर भी अपना संदेश देने में सक्षम था। मंत्रिपरिषद की यह बैठक राज्य के प्रशासनिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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