सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (7 नवंबर 2025) को देशव्यापी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) अभ्यास की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 नवंबर को त्वरित सुनवाई करने का आदेश दिया है। अदालत इस मामले में विस्तार से दलीलें सुनेगी।
यह मामला चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर है, जिसे पहले बिहार विधानसभा चुनाव से पहले 24 जून 2025 को शुरू किया गया था। बाद में आयोग ने इस अभ्यास को दूसरे चरण में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों — जिनमें तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी शामिल हैं — तक बढ़ा दिया, जिससे यह लगभग 51 करोड़ मतदाताओं को कवर करने वाला देशव्यापी अभियान बन गया।
याचिकाकर्ताओं ने चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा है कि आयोग ने SIR के संचालन में पूर्ण विवेकाधिकार (absolute discretion) का उपयोग किया है, जो पारदर्शिता और निष्पक्षता के सिद्धांतों के विपरीत है। उनका तर्क है कि यह कदम चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
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न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जॉयमल्या बागची की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार सुबह 11:15 बजे तय की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और नेहा राठी ने मौखिक रूप से मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। यह याचिका पहले 4 नवंबर को सूचीबद्ध थी, लेकिन संविधान पीठ की सुनवाई के कारण उस दिन नहीं ली जा सकी।
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