तमिलनाडु, जो भारत का प्रमुख वस्त्र निर्यातक राज्य है, अमेरिकी टैरिफ नीति के चलते गंभीर संकट का सामना कर रहा है। अमेरिका ने 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर 50% आयात शुल्क लगा दिया है। इस फैसले का सबसे बड़ा असर तिरुपुर और करूर जैसे प्रमुख वस्त्र एवं परिधान केंद्रों पर पड़ा है, जहां हजारों लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्योग (MSME) निर्यात पर निर्भर हैं।
इन उद्योगों के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार रहा है। विशेषकर तिरुपुर का निटवियर और करूर का होम-टेक्सटाइल्स सेक्टर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी पहचान रखते हैं। लेकिन अचानक बढ़े शुल्क ने इनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को कमजोर कर दिया है। अब अमेरिकी खरीदार अन्य देशों, जैसे बांग्लादेश, वियतनाम और कंबोडिया की ओर रुख कर रहे हैं, जहां से सस्ता आयात संभव है।
कई छोटे उद्योगपति बता रहे हैं कि ऑर्डर रद्द हो रहे हैं और नए अनुबंध नहीं मिल पा रहे हैं। इससे उत्पादन प्रभावित हुआ है और श्रमिकों पर रोज़गार संकट मंडरा रहा है। हजारों कर्मचारियों की नौकरियां असुरक्षित हो गई हैं। तिरुपुर एक्सपोर्ट्स एसोसिएशन और करूर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप कर समाधान निकालने की मांग की है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द राहत नहीं मिली, तो तमिलनाडु के वस्त्र उद्योग को भारी नुकसान होगा और भारत का कुल निर्यात भी प्रभावित हो सकता है। यह न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी रोजगार और विदेशी मुद्रा आय के लिए गंभीर चुनौती है।
अमेरिका की इस नीति ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय व्यापार की अस्थिरता और छोटे उद्योगों की नाजुक स्थिति को उजागर किया है।
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