बिटकॉइन, जो बाजार पूंजीकरण के आधार पर दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी है, अब सिर्फ निवेशकों के बीच ही नहीं बल्कि कंपनियों के पोर्टफोलियो में भी जगह बना रही है। कई कंपनियां इसे न केवल एक निवेश के रूप में बल्कि क्रिप्टो सेक्टर में अपनी भागीदारी दिखाने और "माइनिंग" जैसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी जमा कर रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, बिटकॉइन का स्वामित्व कंपनियों को डिजिटल अर्थव्यवस्था के उभरते हुए अवसरों का लाभ उठाने में मदद कर सकता है। यह एक ब्रांड पोज़िशनिंग रणनीति भी हो सकती है, जिससे कंपनी तकनीकी रूप से प्रगतिशील और भविष्य के लिए तैयार दिखती है। कुछ कंपनियां बिटकॉइन को भुगतान प्रणाली का हिस्सा बनाने की दिशा में भी काम कर रही हैं।
हालांकि, इस ट्रेंड में जोखिम भी कम नहीं हैं। क्रिप्टोकरेंसी बाजार बेहद अस्थिर है, जहां कीमतों में अचानक बड़े उतार-चढ़ाव आ सकते हैं। नियामकीय अनिश्चितता भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि कई देशों में क्रिप्टो से जुड़े कानून अभी विकास के चरण में हैं। इसके अलावा, साइबर सुरक्षा खतरों और डिजिटल वॉलेट हैकिंग का भी खतरा बना रहता है, जिससे कंपनियों को बड़े वित्तीय नुकसान हो सकते हैं।
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वित्तीय विश्लेषकों का कहना है कि बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो संपत्तियां उच्च जोखिम और उच्च रिटर्न दोनों की संभावना रखती हैं, लेकिन उन्हें पारंपरिक निवेशों की तरह स्थिर या सुरक्षित नहीं माना जा सकता।
इसलिए, कंपनियों के लिए जरूरी है कि वे बिटकॉइन या किसी भी क्रिप्टो संपत्ति में निवेश करते समय ठोस जोखिम प्रबंधन रणनीतियां अपनाएं और इस डिजिटल दौड़ में बिना तैयारी के शामिल न हों।
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