हाल ही में जारी अवमानना नोटिस (contempt notice) के जवाब में कहा गया है कि भविष्य की पीढ़ियों को प्रेरणा देने के लिए मूर्ति स्थापना के स्थल पहले से ही चिन्हित किए गए हैं। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया सावधानी और नियोजन के साथ की गई है और इसका उद्देश्य किसी भी तरह के कानून या न्यायिक निर्णय का उल्लंघन करना नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, नोटिस के जवाब में कहा गया कि मूर्तियों की स्थापना के लिए स्थलों का चयन केवल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किया गया है। अधिकारियों ने यह भी कहा कि इन स्थलों का उद्देश्य है कि आने वाली पीढ़ियाँ महान व्यक्तित्वों और उनके योगदान से प्रेरित हो सकें।
अधिकारियों ने नोटिस का जवाब देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि सभी परियोजनाएं पारदर्शी तरीके से और नियमानुसार संचालित की जा रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसी भी स्थल पर निर्माण के लिए सामाजिक और कानूनी मानदंडों का पूरी तरह पालन किया गया है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार की पहल से सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा मिलता है। मूर्तियों के माध्यम से न केवल इतिहास का सम्मान किया जाता है, बल्कि लोगों, विशेषकर युवा पीढ़ी, को प्रेरणा और आदर्श मूल्य भी मिलते हैं।
अधिकारियों का यह भी कहना है कि भविष्य में ऐसे कार्यों में समाजिक सहभागिता और न्यायिक दिशानिर्देशों का पूर्ण पालन किया जाएगा, ताकि किसी प्रकार की कानूनी या सामाजिक विवाद की संभावना न रहे।
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