सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के एक वकील विक्रम सिंह को तुरंत जमानत देने का आदेश दिया, जिन्हें गुरुग्राम पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने हत्या के मामले में गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा कि वकील होने के नाते वह न्याय से भागने की संभावना नहीं रखते।
मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता पेशे से एक अधिवक्ता हैं, और इसलिए न्याय से फरार होने का कोई खतरा नहीं है।” सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश के साथ ही हरियाणा पुलिस को निर्देश दिया कि विक्रम सिंह को तुरंत रिहा किया जाए।
विक्रम सिंह ने दलील दी थी कि उन्होंने ट्रायल कोर्ट में ऐसे सबूत प्रस्तुत किए थे, जिनमें एक सहायक उप-निरीक्षक (ASI) की संलिप्तता सामने आई थी। इसके बाद जब वह पुलिस स्टेशन गए, तो उन्हें बिना गिरफ्तारी के कारण बताए 31 अक्टूबर को हिरासत में ले लिया गया। वर्तमान में वह फरीदाबाद जेल में बंद हैं।
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अदालत ने यह भी माना कि गिरफ्तारी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी थी और पुलिस ने गिरफ्तारी के समय जरूरी प्रक्रिया का पालन नहीं किया। अदालत ने कहा कि कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, खासकर जब आरोपी एक अधिवक्ता है और सहयोग करने को तैयार है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह मामला कानूनी जगत में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि यह न्यायिक पारदर्शिता और पुलिस कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है।
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