भारत की अर्थव्यवस्था के आठ प्रमुख कोर सेक्टरों की गतिविधियों में सितंबर 2025 में तीन महीने के न्यूनतम 3% तक की वृद्धि दर्ज की गई। यह मंदी मुख्य रूप से चार ईंधन-संबंधी क्षेत्रों — कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और रिफाइनरी उत्पाद — में गिरावट के कारण हुई। इसके अलावा, उर्वरक क्षेत्र में भी अपेक्षाकृत तेज मंदी ने कुल इंडेक्स को प्रभावित किया।
व्यापार और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी ‘इंडेक्स ऑफ एट कोर इंडस्ट्रीज’ के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर 2025 में कोर सेक्टरों की वृद्धि दर सितंबर 2024 की तुलना में अधिक रही। हालांकि, यह जून 2025 के बाद सबसे धीमी वृद्धि थी।
आठ कोर सेक्टरों में कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, स्टील, बिजली, सीमेंट और उर्वरक शामिल हैं। चार ईंधन-संबंधी क्षेत्रों में गिरावट और उर्वरक क्षेत्र में मंदी ने उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला पर नकारात्मक प्रभाव डाला। इस धीमी वृद्धि का असर उद्योग, निवेश और रोजगार सृजन पर भी पड़ा है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि यह संकेत देता है कि मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों में उत्पादन और मांग में सतर्कता बरती जा रही है। कोर सेक्टर आर्थिक स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण संकेतक हैं, और इसमें आई मंदी नीति निर्माताओं के लिए उत्पादन बढ़ाने और निवेश प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को उजागर करती है।
सरकारी आंकड़े बताते हैं कि कोर सेक्टरों की स्थिरता, रोजगार सृजन और मुद्रास्फीति को प्रभावित करती है। इसलिए नीति निर्माता और विश्लेषक इन सेक्टरों के विकास पर विशेष ध्यान दे रहे हैं।
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