चक्रवात दित्वा से बुरी तरह प्रभावित श्रीलंका की सहायता के लिए भारत ने शुक्रवार (28 नवंबर 2025) को अत्यावश्यक राहत सामग्री भेजी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत इस कठिन घड़ी में श्रीलंका के साथ खड़ा है और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त मदद भेजने के लिए तैयार है।
नई दिल्ली ने “ऑपरेशन सागर बंधु” की शुरुआत करते हुए राहत अभियान तेज किया। राहत सामग्रियों की पहली खेप भारतीय नौसेना के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत और फ्रंटलाइन युद्धपोत आईएनएस उडागिरी द्वारा पहुंचाई गई।
श्रीलंका में बाढ़ और भूस्खलन के कारण अब तक कम से कम 56 लोगों की मौत हो चुकी है। देश के 12,313 परिवारों के करीब 43,900 लोग खराब मौसम से प्रभावित हुए हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “चक्रवात दित्वा के कारण अपने प्रियजनों को खोने वाले श्रीलंका के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। प्रभावित परिवारों की सुरक्षा और शीघ्र राहत के लिए प्रार्थना करता हूँ।” उन्होंने आगे कहा कि भारत ने अपने सबसे करीबी समुद्री पड़ोसी के प्रति एकजुटता दिखाते हुए तुरंत राहत सामग्री और मानवीय सहायता भेजी है।
उन्होंने कहा कि भारत अपनी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति और ‘विजन महासागर’ के तहत श्रीलंका के साथ मजबूती से खड़ा है। प्रधानमंत्री ने मार्च में मॉरीशस यात्रा के दौरान ‘MAHASAGAR—Mutual And Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions’ विजन की घोषणा की थी।
उधर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ की शुरुआत की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि आईएनएस विक्रांत और आईएनएस उडागिरी ने कोलंबो में राहत सामग्री सौंप दी है और आगे की कार्रवाइयाँ जारी हैं।
आईएनएस विक्रांत और स्वदेशी स्टील्थ फ्रिगेट आईएनएस उदयगिरि श्रीलंका नौसेना की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित तीन-दिवसीय इंटरनेशनल फ्लीट रिव्यू में शामिल होने के लिए भी वहाँ मौजूद हैं। श्रीलंकाई रक्षा अधिकारियों ने बताया कि बचाव कार्यों में मदद के लिए आईएनएस विक्रांत के विमानों को औपचारिक रूप से अनुरोध किया गया है।
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