जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा इन दिनों राजनीतिक रूप से कठिन दौर से गुजर रहे हैं। देश में बढ़ती महंगाई, अमेरिकी टैरिफ और आर्थिक अस्थिरता के बीच उन्हें आगामी ऊपरी सदन (हाउस ऑफ काउंसिलर्स) के चुनाव में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
यह चुनाव इशिबा सरकार के लिए एक लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि अगर उनकी पार्टी को खराब प्रदर्शन मिलता है, तो इससे सरकार तुरंत नहीं बदलेगी, लेकिन यह प्रधानमंत्री की स्थिति को कमजोर जरूर कर सकता है और जापान की भविष्य की नीतिगत दिशा को लेकर अनिश्चितता बढ़ सकती है।
जापानी जनता लगातार बढ़ती उपभोक्ता कीमतों, ऊर्जा लागत और घटती आमदनी से परेशान है। इसके साथ ही अमेरिका द्वारा हाल ही में लागू किए गए नए टैरिफ ने जापानी निर्यात को प्रभावित किया है, जिससे आर्थिक तनाव और गहरा गया है।
विश्लेषकों का मानना है कि यदि इशिबा इस चुनाव में जनता का भरोसा नहीं जीत पाए, तो उनकी पार्टी के भीतर से ही नेतृत्व को लेकर सवाल उठ सकते हैं। विपक्ष भी इस मौके का फायदा उठाकर सरकार की नीतियों पर तीखा हमला कर रहा है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या शिगेरु इशिबा इन कठिन परिस्थितियों में अपनी पकड़ मजबूत रख पाएंगे या जापान की राजनीति एक नए मोड़ पर पहुंच जाएगी।