ब्रिटेन के राजा चार्ल्स ने अपने भाई और पूर्व प्रिंस एंड्रयू से सभी शाही उपाधियाँ और सम्मान छीनकर उन्हें सार्वजनिक जीवन से बाहर कर दिया है। यह निर्णय जेफ्री एप्स्टीन मामले से जुड़े विवादों के बाद आया है, जिसने ब्रिटिश राजशाही को गहराई तक झकझोर दिया है।
शाही परिवार के करीबी सूत्रों के अनुसार, एंड्रयू माउंटबैटन विंडसर अब विंडसर के 30-कमरे वाले रॉयल लॉज को छोड़कर नॉरफॉक के सैंड्रिंघम एस्टेट में निजी आवास में रहेंगे। राजा चार्ल्स ने उनके लिए निजी आर्थिक प्रबंध की व्यवस्था की है, जबकि उनकी पूर्व पत्नी सारा फर्ग्युसन अपनी अलग व्यवस्था करेंगी। उनकी बेटियाँ, प्रिंसेस यूजिनी और बीट्रिस, अपने शीर्षक बरकरार रखेंगी क्योंकि वे संप्रभु के पुत्र की संतान हैं।
न्याय सचिव डेविड लैमी ने पुष्टि की कि एंड्रयू का नाम अब पियरएज की आधिकारिक सूची से हटा दिया गया है। यह कदम राजा के औपचारिक वारंट के बाद संभव हुआ। सरकार के व्यापार मंत्री क्रिस ब्रायंट ने इस निर्णय का “हार्दिक स्वागत” किया और कहा कि “देश के अधिकांश लोग मानते हैं कि यह सही कदम है।”
और पढ़ें: प्रिंस एंड्रयू ने अपने सभी शाही उपाधियों और सम्मान को त्याग दिया
ब्रायंट ने आगे कहा कि एंड्रयू अब एक “आम नागरिक” हैं और यदि अमेरिकी जांच एजेंसियाँ या सीनेट कमेटी उन्हें जेफ्री एप्स्टीन के अपराधों को लेकर पूछताछ के लिए बुलाती हैं, तो उन्हें अवश्य सहयोग करना चाहिए। उनके शब्दों में, “हर जिम्मेदार नागरिक की तरह एंड्रयू को भी अमेरिकी अनुरोध का पालन करना चाहिए।”
राजा चार्ल्स का यह फैसला दो सप्ताह की कठिन वार्ताओं के बाद आया। शुरुआत में एंड्रयू ने अपने शीर्षक स्वेच्छा से छोड़ने का प्रस्ताव दिया था, पर जब यह खबर सामने आई कि वे रॉयल लॉज में बने रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो जनभावनाएँ और अधिक भड़क गईं।
माना जा रहा है कि राजा का निर्णय एंड्रयू के एप्स्टीन से संबंधों में दिखी गंभीर भूलों के कारण हुआ। हाल ही में लीक हुए ईमेल से यह दावा भी सामने आया कि एंड्रयू ने अपने कुख्यात Newsnight इंटरव्यू में झूठ बोला था, जिसमें उन्होंने कहा था कि दिसंबर 2010 के बाद उन्होंने एप्स्टीन से कोई संपर्क नहीं रखा। सबूत बताते हैं कि दोनों तीन महीने बाद तक संपर्क में थे।
इसके अलावा, वर्जीनिया गिउफ्रे की संस्मरण पुस्तक Nobody’s Girl के प्रकाशन ने दबाव और बढ़ाया, जिसमें उसने यह आरोप दोहराया कि एप्स्टीन ने उसे तीन मौकों पर एंड्रयू के साथ जबरन संबंध बनाने पर मजबूर किया था। यद्यपि एंड्रयू ने इन आरोपों से सख्ती से इनकार किया है, पर जनमत पहले ही उनके खिलाफ जा चुका था।
राजा ने यह कदम royal prerogative यानी शाही अधिकार के तहत उठाया, ताकि संसद का समय कानूनी प्रक्रिया में न लगे। सार्वजनिक लेखा समिति ने भी एंड्रयू के 75-वर्षीय रॉयल लॉज पट्टे को लेकर कड़े सवाल उठाए हैं।
गिउफ्रे के परिवार ने बयान जारी कर कहा, “आज एक साधारण अमेरिकी लड़की ने अपनी सच्चाई और साहस से एक ब्रिटिश राजकुमार को जवाबदेही के कठघरे में ला खड़ा किया।”
और पढ़ें: ट्यूनीशिया में फंसे झारखंड के 48 प्रवासी मजदूरों से सरकार ने स्थापित किया संपर्क