चेन्नई की एक विशेष अदालत ने तमिलनाडु के जल संसाधन मंत्री दुरईमुरुगन के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए पुलिस को गैर-जमानती वारंट (NBW) लागू करने का आदेश दिया है। यह आदेश उस समय आया है जब 2002 में दर्ज अवैध संपत्ति (disproportionate assets) मामले में मंत्री और उनके परिवार के कई सदस्य आरोपित हैं।
आरोपों के अनुसार, दुरईमुरुगन, उनकी पत्नी, भाई दुरई सिंगारम, बेटे और वेल्लोर के सांसद डी.एम. कथिर आनंद, तथा बहू के. संगीता ने कथित रूप से आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी। इस मामले की जांच लंबे समय से चल रही है और अदालत में सुनवाई भी हो रही है।
अदालत ने पाया कि मंत्री और उनके परिवार के सदस्य कई बार समन के बावजूद उपस्थित नहीं हुए। इसके चलते अदालत ने पुलिस को आदेश दिया कि सभी आरोपितों को पेश करने के लिए गैर-जमानती वारंट जारी किया जाए। अदालत का यह रुख साफ करता है कि मामले को अब और लंबा खींचने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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इस आदेश के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा कदम बताते हुए सरकार पर हमला बोला है। उनका कहना है कि यदि मंत्री और उनके परिवार के खिलाफ गंभीर आरोप हैं तो उन्हें नैतिक आधार पर पद छोड़ देना चाहिए।
वहीं, दुरईमुरुगन और उनकी पार्टी डीएमके (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) ने इन आरोपों को राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया है। पार्टी का कहना है कि यह मामला दो दशक से लंबित है और इसे अब राजनीतिक लाभ उठाने के लिए उछाला जा रहा है।
यह घटना तमिलनाडु की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर रही है और आने वाले दिनों में इसका प्रभाव राज्य की राजनीति पर गहरा हो सकता है।
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