दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी महिला सहकर्मी को अश्लील या आपत्तिजनक संदेश भेजना एक uniformed अधिकारी के लिए पूरी तरह अनुचित और अस्वीकार्य है। यह टिप्पणी कोर्ट ने तब की जब उसने सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्योरिटी फोर्स (CISF) के एक सब-इंस्पेक्टर को वेतन कटौती की सजा दिए जाने के फैसले को बरकरार रखा।
CISF सब-इंस्पेक्टर पर आरोप था कि उसने एक महिला सहकर्मी को यौन उत्पीड़न के तहत अनुचित और अश्लील संदेश भेजे। इस व्यवहार ने न केवल पीड़ित के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित किया, बल्कि संगठन की छवि और अनुशासन पर भी सवाल उठाए।
हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि इस तरह का कृत्य uniformed अधिकारियों के पेशेवर और नैतिक मानकों के खिलाफ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वेतन कटौती की सजा उचित है और यह संगठन में अनुशासन बनाए रखने की दिशा में एक आवश्यक कदम है। अदालत ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा करती है और संगठन की विश्वसनीयता बढ़ाती है।
और पढ़ें: दिल्ली हाईकोर्ट की नाराज़गी: डूसू चुनाव प्रचार में लग्ज़री कारों के इस्तेमाल पर फटकार
विशेषज्ञों का मानना है कि कार्यस्थल पर महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल देना हर संगठन की जिम्मेदारी है। यौन उत्पीड़न और अनुचित व्यवहार के मामलों में तेज़ और निष्पक्ष कार्रवाई करना न केवल पीड़ित की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि पूरे संगठन में पेशेवर अनुशासन को भी मजबूत बनाता है।
दिल्ली हाईकोर्ट का यह निर्णय स्पष्ट संदेश देता है कि अश्लील या आपत्तिजनक संदेश भेजना किसी भी uniformed अधिकारी के लिए स्वीकार्य नहीं है और कानून एवं अनुशासन का पालन हर हाल में अनिवार्य है।
और पढ़ें: केंद्रीय कर्मचारियों का सामाजिक न्याय मंत्रालय में कार्यस्थल उत्पीड़न के आरोपों पर कार्रवाई न होने के विरोध में प्रदर्शन