दिल्ली पुलिस ने गुरुवार (30 अक्टूबर 2025) को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा कि पूर्व जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद और उनके सह-अभियुक्तों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों का इस्तेमाल सत्ता परिवर्तन की साजिश के लिए किया।
पुलिस के अनुसार, खालिद ने अपने साथियों — शरजील इमाम, मीरन हैदर, शिफा-उर-रहमान, मोहम्मद सलीम खान और गुलफिशा फातिमा — के साथ मिलकर देशभर में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने और हिंसक विद्रोह की योजना बनाई। यह सब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए किया गया ताकि सीएए को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ दमनकारी कानून के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि इन सभी आरोपियों ने “स्पॉन्सर्ड” यानी बाहरी समर्थन प्राप्त प्रदर्शनों को कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने और युवाओं को उकसाने के साधन के रूप में इस्तेमाल किया। पुलिस के मुताबिक, उनका लक्ष्य राष्ट्रव्यापी हिंसा के जरिए सरकार को अस्थिर करना और सत्ता परिवर्तन लाना था।
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पुलिस ने अदालत को बताया कि उमर खालिद पिछले पांच वर्षों से जेल में बिना जमानत के बंद हैं, जबकि मामले की जांच अब भी जारी है। हलफनामे में कहा गया कि इन प्रदर्शनों को “लोकतांत्रिक विरोध” का रूप दिया गया, पर वास्तव में ये योजनाबद्ध राजनीतिक उथल-पुथल का हिस्सा थे।
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला अब सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, और पुलिस ने अदालत से अनुरोध किया है कि खालिद और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज किया जाए।
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