24 जुलाई 2025 को थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लंबे समय से चल रहा सीमा विवाद अचानक हिंसक संघर्ष में बदल गया। संघर्ष थाईलैंड के सुरिन प्रांत और कंबोडिया के ओडर मींचे प्रांत के बीच स्थित दो मंदिरों के पास शुरू हुआ। दोनों देशों ने संघर्ष शुरू करने के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया है।
संघर्ष की शुरुआत कैसे हुई?
कंबोडियाई सैनिकों ने प्रीह विहार प्रांत में BM-21 मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर से हमले किए। इसके जवाब में थाईलैंड ने F-16 लड़ाकू विमान से कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए। इस संघर्ष में कम से कम नौ नागरिकों की मौत हुई, जिनमें एक बच्चा भी शामिल है।
विवाद का मूल कारण क्या है?
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद "एमरल्ड ट्रायंगल" क्षेत्र को लेकर है, जहां दोनों देशों और लाओस की सीमाएं मिलती हैं। यह इलाका प्राचीन मंदिरों से युक्त है और लंबे समय से विवाद का कारण रहा है। 2011 में भी इसी विवाद ने सप्ताह भर की तोपबारी में दर्जनों लोगों की जान ली थी।
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हालिया तनाव की वजह
पिछले सप्ताह थाई सेना के पांच जवान एक बारूदी सुरंग में घायल हुए थे, जिसके बाद थाईलैंड ने कंबोडियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया। थाई सरकार ने आरोप लगाया कि ये सुरंगें हाल ही में कंबोडिया ने लगाई थीं, जिसे फ्नोम पेन्ह ने सिरे से नकार दिया।
अभी क्या चल रहा है?
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सुबह 7:35 बजे ता मुएन मंदिर के पास एक ड्रोन दिखने के बाद थाई सेना ने चेतावनी दी। इसके कुछ देर बाद कंबोडियाई सैनिकों ने गोलीबारी शुरू कर दी।
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कंबोडिया ने थाईलैंड पर "अप्रेरित हवाई हमला" करने का आरोप लगाया और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आपात बैठक की मांग की।
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थाईलैंड ने आरोप लगाया कि कंबोडियाई गोलाबारी से एक अस्पताल और एक घर को नुकसान पहुंचा, जिसमें एक नागरिक की मौत और तीन अन्य घायल हुए।
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थाई F-16 जेट ने जवाबी कार्रवाई में कंबोडिया की सीमा के अंदर एक सैन्य ठिकाने पर बमबारी की।
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दोनों देशों की सेनाएं पूरी तरह अलर्ट पर हैं और सभी सीमा क्रॉसिंग पॉइंट बंद कर दिए गए हैं।
राजनीतिक असर
इस सीमा संघर्ष ने थाईलैंड में भी राजनीतिक हलचल मचा दी है। प्रधानमंत्री पैटोंगटर्न शिनावात्रा को एक नैतिकता जांच के कारण निलंबित कर दिया गया है। वहीं, कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन मानेत ने अगले साल नागरिकों की अनिवार्य भर्ती की घोषणा कर दी है।
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