भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ग्लोबल साउथ देशों के बीच अधिक एकजुटता और सामूहिक शक्ति का आह्वान करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में वैश्विक संस्थाओं को अधिक प्रतिनिधित्वकारी और न्यायसंगत बनाना बेहद जरूरी है ताकि विकासशील देशों की आवाज़ को पर्याप्त महत्व मिल सके।
जयशंकर ने यह बयान 24 सितंबर को न्यूयॉर्क में आयोजित समान विचारधारा वाले ग्लोबल साउथ देशों की उच्चस्तरीय बैठक में दिया। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ देशों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में उनकी भागीदारी और निर्णयकारी भूमिका अभी भी सीमित है।
विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाओं का सुधार अब समय की मांग है। उन्होंने जोर दिया कि वर्तमान संरचना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की वास्तविकताओं पर आधारित है, जबकि आज की परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। ऐसे में एक अधिक न्यायपूर्ण व्यवस्था बनाना ही टिकाऊ वैश्विक प्रगति का रास्ता है।
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जयशंकर ने यह भी कहा कि ग्लोबल साउथ देशों को आपसी सहयोग बढ़ाना होगा और सामूहिक आवाज़ के साथ अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। उन्होंने सुझाव दिया कि जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, तकनीकी समानता और वित्तीय स्थिरता जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करना इन देशों की ताकत को और बढ़ाएगा।
उनकी इस टिप्पणी को विशेषज्ञ ऐसे संकेत के रूप में देख रहे हैं कि भारत वैश्विक मंच पर न केवल अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है, बल्कि ग्लोबल साउथ देशों की सामूहिक नेतृत्वकारी भूमिका को भी आगे बढ़ा रहा है।
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