आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ (BMS) ने केंद्र सरकार से वेतन और सामाजिक सुरक्षा संहिताओं (wage and social security codes) को तुरंत लागू करने की माँग की है। संगठन का कहना है कि इन संहिताओं के क्रियान्वयन में हो रही देरी से मजदूरों के हित प्रभावित हो रहे हैं, जबकि ये सुधार उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए अनिवार्य हैं।
भारतीय मजदूर संघ ने यह भी मांग की है कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) द्वारा एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना में लागू की गई चेहरे की पहचान प्रणाली (facial recognition system) को तुरंत वापस लिया जाए। संगठन का तर्क है कि इस तकनीक के कारण आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं पर अनावश्यक दबाव पड़ रहा है और यह उनके कामकाज को बाधित कर रही है।
संघ ने कहा कि वेतन संहिता और सामाजिक सुरक्षा संहिता को लागू करने से मजदूरों को न्यूनतम वेतन, बेहतर सुरक्षा और पेंशन सुविधाएँ सुनिश्चित होंगी। इसके साथ ही, यह अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों को भी लाभान्वित करेगा, जो अब तक विभिन्न योजनाओं से वंचित हैं।
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बीएमएस नेताओं ने जोर देकर कहा कि सरकार को श्रमिक कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए और तकनीकी उपायों के नाम पर ऐसी नीतियाँ नहीं बनानी चाहिए, जो जमीनी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए परेशानी का कारण बनें।
संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि संहिताओं को लागू करने में किसी तरह की देरी सरकार की श्रमिक हितैषी छवि को कमजोर कर सकती है। इसलिए, इन सुधारों को जल्द से जल्द लागू करना जरूरी है, ताकि मजदूर वर्ग को वास्तविक लाभ मिल सके।
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