रक्षा विशेषज्ञों ने एक बार फिर रूस को भारत का सबसे भरोसेमंद और स्थिर सैन्य साझेदार बताया है। विशेषज्ञों का कहना है कि मॉस्को ने वर्षों से न केवल हथियारों की आपूर्ति में निरंतरता दिखाई है, बल्कि तकनीक हस्तांतरण, संयुक्त उत्पादन और दीर्घकालिक सैन्य सहयोग में भी हमेशा आगे रहा है।
पूर्व आईएएस अधिकारी थॉमस मैथ्यू, जिन्होंने रक्षा और वित्त मंत्रालयों में कार्य किया है, ने रूस को “बिना सवाल पूछे समर्थन देने वाला और विश्वसनीय” रक्षा सहयोगी बताया। उन्होंने कहा कि रूस द्वारा भारत को दिया गया एस-400 वायु रक्षा प्रणाली पाकिस्तान के साथ हालिया तनावपूर्ण परिस्थितियों में गेम-चेंजर साबित हुआ। यह प्रणाली भारत की वायु सुरक्षा क्षमता को बेहद मजबूत बनाती है और सीमा पार से होने वाले किसी भी हवाई खतरे का प्रभावी जवाब देने में सक्षम है।
विशेषज्ञों के अनुसार, रूस द्वारा उन्नत एस-500 प्रणाली की पेशकश भारत-रूस रक्षा सहयोग के अगले चरण की ओर इशारा करती है। हालांकि एस-500 के अधिग्रहण और तैनाती में समय लगेगा, लेकिन यह भारत के लिए एक रणनीतिक अवसर माना जा रहा है। यह विश्व की सबसे अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है, जो मिसाइल, विमान और अंतरिक्ष स्तर के खतरों को भी रोक सकती है।
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रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि पश्चिमी देशों की नीतियों में उतार-चढ़ाव के बीच रूस ने हमेशा भारत के हितों को प्राथमिकता दी है। चाहे ब्रह्मोस मिसाइल का संयुक्त उत्पादन हो या आकाश और समुद्र आधारित हथियार प्रणालियों का विकास, दोनों देशों के बीच सहयोग लगातार आगे बढ़ रहा है।
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत को रूस के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत करना चाहिए, क्योंकि यह सहयोग न केवल सुरक्षा के लिए आवश्यक है बल्कि तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में भी महत्वपूर्ण है।
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