सुप्रीम कोर्ट ने 20% एथनॉल मिश्रित पेट्रोल को पूरे देश में लागू करने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि सरकार की यह नीति राष्ट्रीय हित में है और इसके पीछे व्यापक आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ जुड़े हुए हैं।
केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया कि इस नीति से किसानों को सीधा फायदा होगा, क्योंकि गन्ना और अन्य फसलें, जिनसे एथनॉल तैयार किया जाता है, उनकी खपत बढ़ेगी। इससे कृषि क्षेत्र की आमदनी में वृद्धि होगी। इसके अलावा, पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण से भारत की कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता घटेगी और विदेशी मुद्रा की बचत होगी।
सरकार ने यह भी तर्क दिया कि एथनॉल मिश्रण से प्रदूषण में कमी आएगी और यह एक स्वच्छ ऊर्जा विकल्प के रूप में कार्य करेगा। न्यायालय ने माना कि यह नीति आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है और पर्यावरण के अनुकूल भी।
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याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि 20% एथनॉल मिश्रण से वाहनों के इंजन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है और आम जनता पर अतिरिक्त बोझ डल सकता है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि नई तकनीक से निर्मित वाहन इस मिश्रण के लिए उपयुक्त हैं और पेट्रोलियम कंपनियों ने भी इसकी आपूर्ति के लिए तैयारी कर ली है।
अदालत ने कहा कि नीति मामलों में तब तक हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता, जब तक कि वे स्पष्ट रूप से संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन न करें।
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