सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना सरकार की अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें राज्य ने स्थानीय निकाय चुनावों में 42 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग (BC) आरक्षण के खिलाफ तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। यह आदेश 9 अक्टूबर को तेलंगाना हाई कोर्ट द्वारा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता शामिल थे, ने राज्य की दलीलों को अस्वीकार कर उच्च न्यायालय के आदेश को कायम रखा।
तेलंगाना हाई कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि स्थानीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण संविधान और संबंधित कानूनों के तहत सुनिश्चित किया जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा था कि पिछड़े वर्गों के प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना और उनके सामाजिक-आर्थिक हितों की रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है।
तेलंगाना सरकार ने इस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। सरकार का तर्क था कि इस आरक्षण को लागू करने से चुनावी प्रक्रियाओं और प्रशासनिक व्यवस्था में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण का उद्देश्य उनके सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करना और समान अवसर प्रदान करना है।
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विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय पिछड़ा वर्ग के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व को मजबूत करेगा और उनकी भागीदारी में वृद्धि करेगा। यह आदेश यह भी स्पष्ट करता है कि राज्य सरकार को संविधान और उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन करना अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद तेलंगाना सरकार को आगामी स्थानीय निकाय चुनावों में 42 प्रतिशत पिछड़ा वर्ग आरक्षण को लागू करना होगा।
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