सुप्रीम कोर्ट में आज राष्ट्रपति रेफरेंस मामले पर अहम सुनवाई हो रही है। मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई की अध्यक्षता में पांच जजों की संविधान पीठ इस मामले को सुन रही है। यह रेफरेंस केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया था, जिसके तहत कुछ संवैधानिक मुद्दों पर न्यायालय की राय मांगी गई है।
तमिलनाडु और केरल राज्यों ने इस रेफरेंस का विरोध करते हुए इसे वापस लौटाने की मांग की है। दोनों राज्यों का तर्क है कि यह राष्ट्रपति रेफरेंस असल में एक “भ्रामक याचिका” है और यह एक “छुपी हुई अपील” की तरह पेश की गई है। उनका कहना है कि सरकार ने पहले ही इसी विषय पर न्यायालय का निर्णय प्राप्त कर लिया है और अब फिर से उसी मुद्दे को रेफरेंस के माध्यम से उठाने का प्रयास किया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान राज्यों के वकीलों ने कहा कि यह कदम संघीय ढांचे के खिलाफ है और राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करता है। वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि यह रेफरेंस महत्वपूर्ण संवैधानिक स्पष्टता के लिए आवश्यक है।
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संविधान पीठ यह तय करेगी कि क्या यह रेफरेंस स्वीकार्य है या इसे राष्ट्रपति को वापस भेजा जाना चाहिए। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि इस सुनवाई का असर भविष्य में राज्यों और केंद्र के बीच संवैधानिक विवादों के निपटारे पर भी पड़ेगा।
इस मामले पर आज दिनभर सुनवाई जारी रहेगी और अदालत आने वाले दिनों में इस पर विस्तृत आदेश पारित कर सकती है।
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