मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह की विवादित टिप्पणी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने मंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगने के उनके प्रस्ताव पर फटकार लगाई और कहा कि केवल माफी मांगना पर्याप्त नहीं है।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने विजय शाह की टिप्पणी को “घृणित और लापरवाह” (crass, thoughtless remarks) बताया था। मंत्री द्वारा दी गई इस टिप्पणी से व्यापक विवाद पैदा हुआ और इसे संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ माना गया।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति को अपने शब्दों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि मंत्री के बयान ने न केवल राजनीतिक वातावरण को प्रभावित किया बल्कि समाज में असहमति और विभाजन को भी बढ़ावा दिया।
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विजय शाह ने अपने बयान पर खेद जताते हुए कोर्ट को बताया कि वे सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को तैयार हैं। हालांकि, न्यायालय ने इसे अपर्याप्त बताते हुए कहा कि मंत्री को अपने आचरण में सुधार करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणियां न की जाएं।
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई में राज्य सरकार से यह भी स्पष्ट करने को कहा है कि क्या मंत्री के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह रुख राजनीतिक नेताओं को यह संदेश देता है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए दिए गए बयानों की गंभीर जिम्मेदारी होती है और ऐसे बयान कानूनी कार्रवाई को भी आमंत्रित कर सकते हैं।
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