सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उसे निर्वाचन आयोग (ECI) पर कोई संदेह नहीं है कि वह बिहार के मतदाता विलोपन (voter deletion) विवरण को प्रकाशित करेगा। हालांकि, कोर्ट ने विशेष आदेश जारी करने से इनकार कर दिया।
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि वह अक्टूबर 20 के बाद सभी विवरण प्रकाशित करेगा। इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने आयोग की कम पारदर्शिता पर नाराजगी व्यक्त की और कहा कि विलोपित मतदाताओं को उनके मतदाता नामांकन से हटाए जाने के कारणों की जानकारी नहीं दी गई।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि आयोग ने विलोपित मतदाताओं के प्रति उचित सूचना नहीं दी, जिससे उनका वोट देने का अधिकार प्रभावित हो सकता है। इसके बावजूद, आयोग ने जवाब में कहा कि विलोपित मतदाताओं द्वारा एक भी अपील दायर नहीं की गई है।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयोग के विवरण प्रकाशित करने की प्रक्रिया नियमानुसार होगी और मतदाता सूची में किसी भी तरह की विसंगति को सही करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाएगा। कोर्ट ने यह भी जोर दिया कि मतदाता सूची की पारदर्शिता और सटीकता लोकतंत्र की आधारशिला है और ECI इस दिशा में कार्रवाई करेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि बिहार की मतदाता सूची में विलोपन के मामलों को लेकर यह विवाद मतदाता अधिकारों और निर्वाचन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर महत्वपूर्ण सवाल खड़ा करता है। कोर्ट का रुख यह सुनिश्चित करता है कि आयोग समय पर और नियमानुसार आवश्यक जानकारी प्रदान करेगा।
इस निर्णय से स्पष्ट होता है कि सुप्रीम कोर्ट आयोग पर भरोसा करता है, लेकिन याचिकाकर्ताओं की चिंताओं और मतदाता अधिकारों के संरक्षण की आवश्यकता को भी स्वीकार करता है।
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