सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति रेफरेंस से जुड़े मामले की सुनवाई 19 अगस्त 2025 से शुरू करने की घोषणा की है। यह सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई की अध्यक्षता में गठित संविधान पीठ द्वारा की जाएगी।
अदालत ने स्पष्ट किया कि सुनवाई की शुरुआत में तमिलनाडु और केरल राज्यों को एक-एक घंटे का समय दिया जाएगा ताकि वे अपनी दलीलें प्रस्तुत कर सकें। इन दोनों राज्यों का मुख्य तर्क यह है कि राष्ट्रपति रेफरेंस का उत्तर दिए बिना ही इसे वापस लौटा दिया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति रेफरेंस एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके तहत राष्ट्रपति किसी संवैधानिक या कानूनी प्रश्न पर सुप्रीम कोर्ट की राय मांग सकते हैं। इस मामले में भी कुछ महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दों पर अदालत से राय मांगी गई है।
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मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि अदालत पहले इस रेफरेंस की स्वीकार्यता और सुनवाई योग्य होने पर विचार करेगी। इसके बाद ही मामले की विस्तृत सुनवाई आगे बढ़ाई जाएगी।
तमिलनाडु और केरल सरकारों ने यह तर्क दिया है कि इस रेफरेंस का कोई कानूनी औचित्य नहीं है और अदालत को इसे बिना जवाब दिए वापस भेज देना चाहिए। वहीं, केंद्र सरकार का पक्ष है कि अदालत की राय इस संवैधानिक प्रश्न को स्पष्ट करने में मदद करेगी।
यह सुनवाई देश की राजनीति और संविधानिक व्याख्या के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भविष्य में ऐसे संवैधानिक मामलों पर मिसाल पेश कर सकता है।
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