तमिलनाडु के तिरुचुली के पास स्थित एक दूरदराज़ गांव की लकड़हारे की बेटी ने संघर्षों को पार करते हुए मेडिकल कॉलेज में दाखिला हासिल कर मिसाल कायम की है। दो साल तक लगातार मेहनत और एनईईटी (NEET) की कोचिंग लेने के बाद, उसने अपने सपनों का मेडिकल कोर्स करने के लिए सीट सुरक्षित की है।
यह सफलता उसे 7.5% आरक्षण नीति के तहत मिली है, जो सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए लागू की गई है। इस आरक्षण का उद्देश्य ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को उच्च शिक्षा में बेहतर अवसर प्रदान करना है।
लकड़हारे परिवार से आने वाली इस छात्रा ने आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद हार नहीं मानी। उसके माता-पिता ने सीमित संसाधनों में भी उसकी पढ़ाई जारी रखने में मदद की। गांव में शिक्षा की सीमित सुविधाओं और वित्तीय चुनौतियों के बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी और डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाया।
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एनईईटी परीक्षा की तैयारी के लिए उसने सरकारी सहायता और विशेष कोचिंग कार्यक्रमों का लाभ उठाया। दो साल की कड़ी मेहनत और समर्पण के बाद, वह न केवल परीक्षा में सफल हुई बल्कि मेडिकल कॉलेज में दाखिला पाने का अपना सपना भी पूरा कर लिया।
उसकी इस उपलब्धि से न केवल उसका परिवार बल्कि पूरा गांव गर्व महसूस कर रहा है। यह कहानी दिखाती है कि सही अवसर और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी छात्र अपने सपनों को साकार कर सकता है।
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