भारत के राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) ने मंगलवार को व्हाट्सएप और अन्य मेटा इकाइयों के बीच डेटा शेयरिंग पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया, लेकिन मेटा पर लगाए गए 25.4 मिलियन डॉलर के जुर्माने को बरकरार रखा। यह फैसला अमेरिकी टेक कंपनी मेटा के लिए आंशिक राहत लेकर आया है।
व्हाट्सएप ने 2024 में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती दी थी। आयोग ने व्हाट्सएप को अपने उपयोगकर्ताओं का डेटा मेटा की अन्य कंपनियों—जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम—के साथ विज्ञापन उद्देश्यों के लिए साझा करने से रोका था।
व्हाट्सएप ने चेतावनी दी थी कि अगर यह प्रतिबंध लागू रहा, तो उसे कुछ फीचर्स को वापस लेना पड़ सकता है। मेटा ने यह भी कहा था कि CCI में तकनीकी विशेषज्ञता की कमी है और उसने आदेश के नतीजों को ठीक से नहीं समझा।
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NCLAT ने अपने निर्णय में कहा कि डेटा शेयरिंग पर प्रतिबंध का "कोई ठोस आधार" नहीं था, इसलिए उसे रद्द किया जाता है। हालांकि, न्यायाधिकरण ने माना कि मेटा ने बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग किया और उपयोगकर्ताओं पर अनुचित शर्तें थोपीं, इसलिए जुर्माना सही है।
यह मामला 2021 में शुरू हुआ था, जब व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर विवाद हुआ था। CCI की जांच में पाया गया था कि नई नीति उपयोगकर्ताओं को बदलाव स्वीकार करने या सेवा बंद होने का जोखिम उठाने के लिए मजबूर करती है।
मेटा के प्रवक्ता ने कहा, “हम दोहराते हैं कि 2021 की नीति से लोगों के निजी संदेशों की गोपनीयता में कोई बदलाव नहीं हुआ है, वे अब भी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड हैं।”
गौरतलब है कि भारत मेटा का सबसे बड़ा बाजार है, जहां फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप के सबसे अधिक उपयोगकर्ता हैं।
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