अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि उनकी प्रशासनिक नीति के तहत चिप उद्योग पर जल्द ही ‘काफी बड़े’ टैरिफ लगाए जाएंगे। उन्होंने यह बयान व्हाइट हाउस में आयोजित एक डिनर के दौरान दिया, जहां देश के प्रमुख टेक उद्योग के शीर्ष अधिकारियों को आमंत्रित किया गया था।
ट्रंप ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार अमेरिकी विनिर्माण को मजबूत बनाने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर अमेरिका की निर्भरता कम करने के लिए सख्त कदम उठाएगी। उनका कहना था कि विदेशी कंपनियों द्वारा सस्ते चिप्स की आपूर्ति से अमेरिकी उद्योग को नुकसान पहुंच रहा है, इसलिए जल्द ही इस पर रोक लगाने के लिए टैरिफ लागू किए जाएंगे।
उन्होंने कहा, “हम बहुत जल्द टैरिफ लगाने वाले हैं। यह कदम अमेरिकी हितों की रक्षा और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है।” ट्रंप ने यह भी दावा किया कि यह नीति अमेरिकी कंपनियों को स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ाने और निवेश करने के लिए प्रेरित करेगी।
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हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे टैरिफ से वैश्विक टेक्नोलॉजी सेक्टर में उथल-पुथल मच सकती है। चिप्स स्मार्टफोन, कंप्यूटर, कारों और रक्षा उपकरणों तक हर जगह इस्तेमाल होते हैं। यदि टैरिफ लगाए जाते हैं, तो इससे न केवल कीमतों में वृद्धि होगी, बल्कि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के बीच व्यापार तनाव भी बढ़ सकता है।
टेक उद्योग के कई प्रतिनिधियों ने इस कदम पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि अगर आयातित चिप्स महंगे हो जाते हैं, तो उत्पादन लागत बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को इसका सीधा असर झेलना पड़ेगा।
ट्रंप का यह ऐलान ऐसे समय में आया है जब वैश्विक स्तर पर चिप आपूर्ति संकट पहले से ही गहरा है। अब देखने वाली बात यह होगी कि अमेरिका इस नीति को कैसे लागू करता है और इसके क्या वैश्विक असर सामने आते हैं।
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