भारतीय रुपया बुधवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले मामूली सुधार दिखाते हुए सात पैसे मजबूत होकर 88.28 पर बंद हुआ। इससे पहले मंगलवार, 11 सितंबर को रुपया 24 पैसे टूटकर 88.35 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, रुपये में यह हल्की रिकवरी विदेशी पूंजी के प्रवाह और कुछ सरकारी बैंकों की डॉलर बिक्री से संभव हुई। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतें और अमेरिकी डॉलर की मजबूती ने रुपये पर दबाव बनाए रखा।
विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये का हालिया उतार-चढ़ाव वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और विदेशी निवेशकों की गतिविधियों से गहराई से जुड़ा हुआ है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीतियों और डॉलर इंडेक्स की मजबूती भी उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राओं को प्रभावित कर रही है।
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फॉरेक्स बाजार से जुड़े जानकारों का मानना है कि निकट भविष्य में रुपया 88.50 के स्तर के आसपास दबाव में रह सकता है। हालांकि, सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से स्थिति पर करीबी नजर रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप भी किया जा सकता है।
बाजार विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यदि कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहती हैं और विदेशी निवेशकों का रुख सकारात्मक होता है, तो रुपया सीमित दायरे में सुधार दिखा सकता है।
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