सोने की कीमत ने सोमवार को ऐतिहासिक उच्च स्तर छू लिया और 10 ग्राम के भाव ₹1,12,750 तक पहुँच गए। यह उछाल अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की दर में कटौती की उम्मीद और वैश्विक आर्थिक संकेतों के असर से हुआ है। निवेशकों और विश्लेषकों ने इसे बुलियन बाजार में लगातार बढ़त के रूप में देखा।
विश्लेषकों ने कहा कि इस तेजी के पीछे कई कारण हैं। सबसे बड़ा कारण अमेरिकी फेडरल रिज़र्व द्वारा इस साल पहली बार ब्याज दर में कटौती की संभावना है। इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं, मुद्रास्फीति की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की मांग ने कीमतों को ऊपर धकेला।
भारत में सोने की कीमतों पर भी डॉलर की मजबूती और वैश्विक सोने की दरों का सीधा प्रभाव पड़ता है। फेड की रेट कट की उम्मीद से डॉलर कमजोर हुआ, जिससे भारत में सोने की कीमतें बढ़ गईं। इस उछाल ने निवेशकों को सोने में निवेश के लिए आकर्षित किया।
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विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की इस लगातार बढ़ती कीमत को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। हालांकि, मुद्रास्फीति और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के दौर में सोना सुरक्षित निवेश के रूप में आकर्षक बना हुआ है।
साथ ही, ज्वैलरी और औद्योगिक मांग के कारण भी भारत में सोने की मांग बढ़ रही है। बाजार में यह तेजी छोटे और बड़े निवेशकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण संकेत देती है।
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि आने वाले महीनों में फेड की नीतियों और वैश्विक आर्थिक संकेतों के आधार पर सोने की कीमतों में और उतार-चढ़ाव हो सकता है।
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