सुप्रीम कोर्ट ने ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) से पीड़ित व्यक्तियों के प्रति केंद्र सरकार की उदासीनता के आरोप वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों और मेट्रो सेवाओं के कर्मचारियों को इस संवेदनशील मुद्दे के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाया जाना चाहिए ताकि ऑटिस्टिक व्यक्तियों को किसी भी प्रकार की असुविधा या भेदभाव का सामना न करना पड़े।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि देश में ASD से प्रभावित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उनके अधिकारों और जरूरतों को लेकर अभी भी पर्याप्त जागरूकता और संवेदनशीलता का अभाव है। उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर स्टाफ का प्रशिक्षण न होना इनके लिए गंभीर समस्या बन रहा है, जिससे वे मानसिक और शारीरिक रूप से असहज महसूस करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करे और बताए कि वे ASD से प्रभावित लोगों के लिए किन-किन कदमों को लागू कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि देश में सभी सार्वजनिक सेवा केंद्रों पर ऐसे लोगों के लिए सुविधाओं को बढ़ाना और स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण देना जरूरी है।
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यह मामला समाज में विकलांगता और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समावेशी रवैये को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दिशा में सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों को मिलकर काम करना होगा ताकि ASD से प्रभावित लोगों को सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन मिल सके।
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