19वीं सदी के अफीम युद्ध का प्रभाव आज भी चीन की राजनीतिक और आर्थिक सोच पर गहराई से महसूस किया जाता है, और यही ऐतिहासिक दृष्टिकोण चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अमेरिका के साथ व्यापार नीति को आकार दे रहा है।
इतिहासकार जूलिया लोवेल, जिन्होंने “द ओपियम वॉर: ड्रग्स, ड्रीम्स एंड द मेकिंग ऑफ मॉडर्न चाइना” पुस्तक लिखी है, कहते हैं कि “ट्रंप चीन को आधुनिक अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का विजेता मानते हैं, जबकि शी जिनपिंग इसे उसके शिकार के रूप में देखते हैं।” उनके अनुसार, यह विरोधाभासी दृष्टिकोण वार्ताओं में गहरी अस्थिरता पैदा कर सकता है।
शी जिनपिंग, जिन्होंने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में अपना राजनीतिक करियर तटीय प्रांत फ़ुजियान से शुरू किया, हमेशा अपने डेस्क पर एक कविता रखते थे — यह कविता राष्ट्रहित की पवित्रता पर लिखी एक देशभक्ति रचना है। इसे 19वीं सदी के एक चीनी अधिकारी लिन जेक्सू ने लिखा था, जो फ़ुजियान प्रांत के ही निवासी थे और ब्रिटेन के साथ अफीम व्यापार विवाद के दौरान चीन के विदेशी व्यापार की देखरेख करते थे।
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लिन जेक्सू को चीन में आज भी एक राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मानित किया जाता है। उन्हें उस समय की विश्व महाशक्ति ब्रिटेन के खिलाफ खड़े होने वाले नेता के रूप में देखा जाता है। शी जिनपिंग अक्सर अपने भाषणों और शैक्षणिक संदर्भों में जेक्सू का उल्लेख करते हैं, यह दिखाने के लिए कि चीन अब किसी भी बाहरी दबाव या अन्याय के आगे नहीं झुकेगा।
इस ऐतिहासिक प्रतीकवाद के कारण शी की व्यापार नीति और ट्रंप के प्रति उनकी कठोर प्रतिक्रिया को चीन के स्वाभिमान और इतिहास की स्मृति से जोड़ा जाता है।
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