संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत वर्तमान में सांस्कृतिक पुनर्जागरण के एक महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा है। उनका मानना है कि यह समय देश की परंपराओं, विरासत और मूल्यों को नए रूप में प्रस्तुत करने और आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का है।
अपने संबोधन में शेखावत ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता और समृद्ध परंपरा को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में सरकार निरंतर काम कर रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की पांडुलिपियों और ज्ञान परंपरा को आधुनिक तकनीक की मदद से संरक्षित और प्रसारित करना बेहद आवश्यक है।
शेखावत ने बताया कि अब समय आ गया है कि "हमारी पांडुलिपि विरासत को एआई-पठनीय प्रारूप (AI-readable format)" में बदला जाए, ताकि यह न केवल भारतीयों बल्कि पूरी दुनिया तक सरलता से पहुंच सके। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डिजिटल तकनीक हमारे सांस्कृतिक खजाने को अधिक व्यापक और सुलभ बनाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकती है।
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संस्कृति मंत्री ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करने से न केवल भारत की पहचान मजबूत होगी, बल्कि यह विश्व को भी प्रेरणा देगा। उन्होंने कहा कि भारत का सांस्कृतिक पुनर्जागरण केवल अतीत के गौरव को जीवित रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे आधुनिक समय की जरूरतों के अनुसार ढालना भी है।
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे भारत की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में सक्रिय भूमिका निभाएं और इस पुनर्जागरण को और अधिक सार्थक बनाएं।
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