भारत ने रूस के नए रक्षा सहयोग प्रस्तावों—जिनमें Su-57 पांचवीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर, लंबी दूरी के ड्रोन और उन्नत पनडुब्बियाँ शामिल हैं—पर सीमित उत्साह दिखाया है। मामले से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के हालिया भारत यात्रा से पहले रूस ने कई दौर की चर्चाओं में इन रक्षा प्लेटफॉर्मों को बढ़ावा दिया, लेकिन भारत ने इस पर अत्यधिक रुचि नहीं जताई।
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, रूस ने खासतौर पर Geran सीरीज़ के कामिकाज़े ड्रोन, नई तकनीक वाली पनडुब्बियाँ और उन्नत विमान भारत को पेश किए। हालांकि, भारत वर्तमान में अपनी रक्षा खरीद नीति को अधिक रणनीतिक बनाते हुए “आत्मनिर्भरता” पर जोर दे रहा है। यही कारण है कि नई खरीद के मामलों में भारत अत्यधिक सावधानी बरत रहा है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाल ही में भारत की रक्षा क्षमता में तेजी से बढ़ोतरी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2014 में जहां भारत का रक्षा उत्पादन मात्र ₹46,000 करोड़ था, वहीं अब यह बढ़कर रिकॉर्ड ₹1.51 लाख करोड़ पर पहुँच गया है। इससे स्पष्ट है कि भारत अब विदेशी हथियार आयात पर निर्भरता कम कर, घरेलू उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
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नीतिगत प्राथमिकताओं और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए भारत फिलहाल Su-57 जैसे उन्नत प्लेटफॉर्मों की खरीद को लेकर जल्दबाज़ी में नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अन्य विकल्पों का भी मूल्यांकन कर रहा है और रक्षा साझेदारी में दीर्घकालिक तकनीकी लाभ को प्राथमिकता देना चाहता है।
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