कर्नाटक सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए धारवाड़ पीठ ने हाल ही में जारी उस सरकारी आदेश (Government Order) पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिसके तहत राज्य सरकार की संपत्तियों और परिसरों में निजी संगठनों की सभाओं और गतिविधियों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया था।
यह आदेश जस्टिस एम. नागप्रसन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने सुनाया। अदालत हुबली स्थित पुनश्चेतना सेवा संस्था द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें इस सरकारी आदेश को संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया था।
याचिकाकर्ता संस्था ने दलील दी कि राज्य सरकार का यह नया आदेश उन निजी संगठनों के अधिकारों को सीमित करता है जो सामाजिक, धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं। आदेश के अनुसार, यदि 10 से अधिक लोग किसी सार्वजनिक या सरकारी भूमि पर एकत्रित होते हैं, तो उन्हें पूर्व अनुमति लेनी होगी।
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अदालत ने प्रारंभिक तौर पर माना कि इस आदेश का प्रभाव नागरिकों के अभिव्यक्ति और एकत्र होने के अधिकारों पर पड़ सकता है। अदालत ने राज्य सरकार से इस पर स्पष्टीकरण मांगा है और अगली सुनवाई की तारीख 17 नवंबर 2025 तय की है।
इस निर्णय को नागरिक संगठनों ने “लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम” बताया है। वहीं राज्य सरकार का कहना है कि आदेश का उद्देश्य केवल कानून व्यवस्था बनाए रखना था, न कि लोगों की स्वतंत्रता को सीमित करना।
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