देश की औद्योगिक गतिविधियों में सितंबर 2025 में सुस्ती दर्ज की गई, जब औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) की वृद्धि दर घटकर 4 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह पिछले तीन महीनों में सबसे निचला स्तर है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सितंबर 2024 में 3.2% थी। इसके बाद जुलाई 2025 में यह दर 4.3% तक पहुंची थी, लेकिन सितंबर में एक बार फिर इसमें गिरावट आई।
आंकड़े बताते हैं कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) में औद्योगिक वृद्धि दर पिछले पांच वर्षों में सबसे धीमी रही है। यह मंदी मुख्य रूप से खनन क्षेत्र और उपभोक्ता गैर-टिकाऊ वस्तुओं (Consumer Non-Durables) के उत्पादन में गिरावट के कारण आई है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, घरेलू मांग में कमी और मानसूनी अनिश्चितता ने उत्पादन पर असर डाला है। वहीं, बिजली उत्पादन और बुनियादी ढांचे से जुड़े क्षेत्रों में मामूली सुधार देखा गया है।
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अगर सरकार उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं को और मजबूत करती है और निवेश माहौल को बेहतर बनाती है, तो आने वाले महीनों में औद्योगिक गतिविधियों में तेजी लौट सकती है।
वित्त वर्ष के शेष महीनों में प्रदर्शन सुधारने के लिए सरकार को निर्यात, विनिर्माण और उपभोक्ता मांग पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बताई जा रही है।
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