भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नए निचले स्तर पर बंद हुआ। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 15 पैसे की गिरावट के साथ 88.27 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। इस गिरावट ने निवेशकों और कारोबारियों के बीच चिंता बढ़ा दी है।
फॉरेक्स कारोबारियों के अनुसार, वैश्विक बाजारों में डॉलर की कमजोरी और कच्चे तेल की गिरती कीमतें भी रुपये को समर्थन देने में नाकाम रहीं। आमतौर पर डॉलर की कमजोरी और तेल की कीमतों में गिरावट से रुपये को मजबूती मिलती है, लेकिन इस बार घरेलू कारक और विदेशी फंडों की निकासी ने स्थिति को बिगाड़ दिया।
कारोबारियों का कहना है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयर बाजार से भारी निकासी की है, जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ा। इसके अलावा, आयातकों द्वारा डॉलर की बढ़ती मांग ने भी मुद्रा बाजार की असंतुलित स्थिति को गहरा किया।
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विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की ब्याज दर नीति और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं ने निवेशकों की धारणा पर असर डाला है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के दखल की संभावनाओं को भी पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता, लेकिन फिलहाल बाजार रुपये की कमजोरी से जूझ रहा है।
इसके साथ ही, घरेलू शेयर बाजार में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। हालांकि, कुछ कारोबारियों का अनुमान है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें और नीचे जाती हैं और वैश्विक डॉलर इंडेक्स कमजोर रहता है, तो रुपया आने वाले दिनों में कुछ स्थिरता पा सकता है।
वर्तमान स्थिति इस बात की ओर संकेत करती है कि रुपये पर दबाव निकट भविष्य में भी जारी रह सकता है और नीति-निर्माताओं के लिए इसे संभालना बड़ी चुनौती होगी।
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