महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मामले में बरी हुए फ़हीम अंसारी किसी भी ऐसी नौकरी में काम कर सकते हैं, जिसमें पुलिस क्लियरेंस या चरित्र प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होती। यह बयान 26/11 हमले की 17वीं बरसी से एक दिन पहले दिया गया।
अंसारी ने जनवरी में हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने आजीविका के लिए ऑटो रिक्शा चलाने हेतु पुलिस क्लियरेंस प्रमाणपत्र की मांग की थी। सितंबर में सरकार ने कहा था कि अंसारी पर अभी भी निगरानी रखी जा रही है क्योंकि उस पर प्रतिबंधित आतंकी संगठन की गतिविधियों से जुड़े होने का संदेह है, इसलिए उनकी PCC आवेदन को अस्वीकार किया गया।
मंगलवार (25 नवंबर) को सरकारी वकील अमित पलकड़ ने उन नौकरियों की सूची कोर्ट को सौंपी, जिनमें पुलिस चरित्र प्रमाणपत्र अनिवार्य है। इस सूची के अनुसार सरकारी, अर्ध-सरकारी, नगर निगम नौकरियां, स्कूल-कॉलेजों की नौकरियां, सुरक्षा गार्ड की सेवाएं, RTO बैज और परमिट — इन सभी के लिए PCC अनिवार्य है। निजी कंपनियां भी पुलिस से चरित्र सत्यापन का अनुरोध कर सकती हैं।
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पलकड़ ने कहा कि अंसारी किसी भी ऐसी नौकरी में काम कर सकते हैं जिसमें PCC की आवश्यकता न हो। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले को ‘इन-चेम्बर’ सुना जाए क्योंकि पुलिस ने अंसारी से जुड़े गोपनीय दस्तावेज जमा किए हैं। अदालत ने सहमति जताई।
26/11 हमलों में 166 लोगों की मौत हुई थी। नौ आतंकवादी मारे गए थे जबकि अजमल कसाब को 2010 में फांसी की सजा सुनाई गई। अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को अपर्याप्त सबूतों के कारण सभी अदालतों ने बरी कर दिया था।
अंसारी की याचिका में कहा गया कि PCC न देना उनके जीवनयापन के अधिकार का उल्लंघन है। जेल से 2019 में रिहाई के बाद उसने प्रिंटिंग प्रेस में काम किया, लेकिन COVID-19 के बाद आय कम होने पर उसने ऑटो चलाने का निर्णय लिया और 2024 में लाइसेंस प्राप्त किया। लेकिन PCC न मिलने के कारण वह व्यावसायिक रूप से ऑटो नहीं चला पा रहा है।
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