पश्चिम बंगाल कॉलेज और विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (West Bengal College and University Teachers’ Association - WBCUTA) ने 3 अगस्त से अपने शताब्दी वर्ष का जश्न शुरू कर दिया है। यह संगठन, जिसे एक समय भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे विद्वानों ने नेतृत्व दिया था, अब 100 वर्षों की समृद्ध परंपरा को पीछे छोड़ते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अपनी निरंतर भूमिका निभा रहा है।
शताब्दी समारोह वर्ष भर चलेगा और इसमें संगोष्ठियों, व्याख्यानों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और शैक्षणिक संवादों की एक श्रृंखला आयोजित की जाएगी। इन आयोजनों का उद्देश्य न केवल संगठन के ऐतिहासिक योगदान को याद करना है, बल्कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली की चुनौतियों और शिक्षकों की भूमिका पर भी विचार करना है।
WBCUTA की स्थापना 1925 में शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा और शिक्षा व्यवस्था को अधिक न्यायपूर्ण बनाने के उद्देश्य से हुई थी। यह संगठन वर्षों से उच्च शिक्षा नीतियों में महत्वपूर्ण योगदान देता रहा है और शिक्षकों की आवाज़ को नीति-निर्माण तक पहुंचाने में अग्रणी रहा है।
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संघ के सदस्यों और पूर्व पदाधिकारियों ने इस अवसर पर कहा कि यह शताब्दी सिर्फ एक ऐतिहासिक पड़ाव नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का एक महत्वपूर्ण क्षण भी है। आज जब नई शिक्षा नीति और तकनीकी बदलावों का दौर चल रहा है, तब इस तरह के संगठनों की भूमिका और भी अहम हो गई है।
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