भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे कमजोर होकर 88.14 पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों की लगातार पूंजी निकासी और वैश्विक बाजार में डॉलर की मजबूती इसके प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं।
फॉरेक्स ट्रेडर्स ने बताया कि विदेशी फंड्स के बहिर्गमन से रुपया दबाव में रहा, हालांकि घरेलू शेयर बाजारों में सकारात्मक रुख ने गिरावट को कुछ हद तक थामने का काम किया। सेंसेक्स और निफ्टी में मजबूती से रुपये को आंशिक सहारा मिला।
दिन के दौरान रुपया 88.05 के स्तर पर खुला और कारोबार के दौरान यह 88.18 तक कमजोर हुआ, इसके बाद 88.14 पर स्थिर होकर बंद हुआ। पिछले कारोबारी सत्र में रुपया 88.02 पर बंद हुआ था।
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विश्लेषकों का मानना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव फिलहाल बना रह सकता है क्योंकि वैश्विक निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी नीतिगत घोषणाओं पर नज़र बनाए हुए हैं। यदि ब्याज दरों में और सख्ती आती है तो उभरते बाजारों से पूंजी बहिर्गमन तेज हो सकता है।
हालांकि, घरेलू बाजार की मजबूती, कच्चे तेल की स्थिर कीमतें और सरकार के आर्थिक सुधारों से रुपये को दीर्घकालिक सहारा मिल सकता है। भारतीय रिज़र्व बैंक भी बाजार में असामान्य उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप कर सकता है।
इस उतार-चढ़ाव से आयातकों और निर्यातकों दोनों पर असर पड़ने की संभावना है। जहां आयातकों की लागत बढ़ सकती है, वहीं निर्यातकों को इसका आंशिक लाभ मिल सकता है।
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