सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक परीक्षाओं में नकल और अनुचित साधनों के इस्तेमाल को गंभीर अपराध करार देते हुए आरोपियों को कड़ी चेतावनी दी है। अदालत ने कहा कि ऐसे कृत्य न केवल परीक्षा की पारदर्शिता और निष्पक्षता को खत्म करते हैं, बल्कि पूरी शिक्षा प्रणाली को भी खोखला बना देते हैं।
यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान आई, जिसमें याचिकाकर्ता और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ एक स्कूल प्रिंसिपल की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। इन पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम के प्रावधानों के तहत केस दर्ज हुआ है।
याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने परीक्षा में अनुचित साधनों का इस्तेमाल किया और दूसरों को भी इस कार्य के लिए प्रेरित किया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि ऐसे लोग केवल खुद को ही नहीं, बल्कि लाखों मेहनती छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करते हैं।
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अदालत ने स्पष्ट किया कि सार्वजनिक परीक्षाएं युवाओं के जीवन में अहम भूमिका निभाती हैं और यदि इन्हें भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी या अनुचित तरीकों से प्रभावित किया जाता है, तो यह समाज और राष्ट्र के लिए गंभीर खतरा है। अदालत ने यह भी कहा कि शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए और यह संदेश दिया कि परीक्षाओं की पवित्रता और छात्रों की मेहनत की रक्षा सर्वोपरि है।
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